तो GST की कंप्लीट डिटेल आपको इस पोस्ट में मिलने वाली है तो शुरू से लेकर आखिरी तक इस पोस्ट को पढ़े
आपको GST के बारे में अच्छे से समझ में आ जाएगा
सबसे पहले बता देता हूं कि gst 1st जुलाई 2017 से इंडिया में भारत सरकार द्वारा लागू किया गया था
उससे पहले vat था जिसकी फुल फॉर्म value added tax है अब जबकि vat और बस खत्म हो चुका है तो इसे हम ज्यादा नहीं उलझेगे
तो बिना टाइम वेस्ट कीजिए ऐसी की फुल फॉर्म के साथ शुरू करते हैं और GST की डेफिनेशन को समझते हैं
Definition of GST – जीएसटी की परिभाषा
GST की full form होती है – goods and service tax
जिसमें Good का मतलब होता है माल
और service का मतलब होता है सेवा
अर्थात सरकार द्वारा किसी भी प्रकार के माल या किसी भी प्रकार की सर्विस पर लगाया गया tax goods & service tax GST कहलाता है
अब GST कब लगता है, क्यों लगता है, कितना लगता है कैसा लगता है और किस प्रकार लगता है यह समझते हैं
STEP BY STEP 1-1 TOPIC को उठाएंगे और सिंपल सी लैंग्वेज में समझने की कोशिश करेंगे
(Types of business) – व्यापार के प्रकार
सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि व्यापार कितने प्रकार के होते हैं अर्थात nature of business कोई भी बिजनेस केवल दो ही तरह के होते हैं
1 Business for purchase and sales of goods
जिसमें किसी भी तरह के माल खरीदे या बेचे जाते हो
जैसे electronic shop जिसमें fridge, Ac tv को खरीदा बेचा जाता है
जैसे मोबाइल की शॉप जिसमें मोबाइल को खरीदा बेचा जाता है यह सब परचेज एंड सेल्स की कैटेगरी में आता है जिसमें किसी भी प्रकार के प्रोडक्ट को प्रॉफिट कमाने के लिए और बेचने के लिए खरीदा जाता है
2 Business for service providing
जिसमें किसी भी तरह की सेवा का आदान-प्रदान होता हो । जैसे फोन रिचार्ज , टेलीफोन रिचार्ज , इंटरनेट रिचार्ज आइटम रिपेयरिंग होटल सर्विस , रेस्टोरेंट यह सभी सर्विस की कैटेगरी है जिसमें ना ही कोई मार खरीदा जाता है और ना ही बेचा जाता है बल्कि किसी तरह की सर्विस दी जाती है और प्रॉफिट earn किया जाता है
यह तो हो गई types of business की बात बढ़ाते हैं अगले टॉपिक की तरफ
Who are compulsory for GST registration ( किन्ही जीएसटी में पंजीकरण करवाना जरूरी है )
अब सरकार के रूल्स के अकॉर्डिंग जिनकी 1 साल की सेल्स जिसको टर्नओवर भी बोलते हैं जिनका 1 साल का टर्नओवर 40 लाख से ज्यादा है यानी 1 साल में 40 लाख से ज्यादा माल बेचा है उनको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है
और जो 1 साल में बेस्ट आपसे ज्यादा की सर्विस देते हैं यानी माल डीजे एक साल में 20 लाख से ज्यादा का मोबाइल रिचार्ज करते हैं उनको भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है
अब अगर किसी का टर्नओवर 40 लाख से कम है और सर्विस का टर्नओवर 20 लाख से कम है तो भी फॉर्म को जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है और जो जीएसटी में रजिस्ट्रेशन होता है उनको जीएसटी को पूरा लेनदेन रखना पड़ता है इसीलिए gst रजिस्ट्रेशन परसों को एक accountant की जरूरत पड़ती है
बढ़ाते हैं अगले टॉपिक की तरफ…
Document required for gst registration
(GST पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज)
जिसको भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवाना है उनको दिए गए डॉक्यूमेंट के साथ gst.gov.in पर apply for GST registration form भरना पड़ता है
- Aadhar card of applicate
- PAN card of applicant
- Password size Photo of applicant
- Valid mobile number of applicant
- Bank account front page of applicant
- Proof of business address
- Rent agreement
- Firm name
Document GST registration के लिए देने पड़ते हैं कंडीशन के अकॉर्डिंग 1 या 2 डॉक्यूमेंट की और जरूरत पड़ सकती है
Apply करने के बाद 3 या 5 दिन में एक नंबर मिलते हैं
जिसे GSTIN number 15 डिजिटल के होते हैं
First 2 digit – state code होते हैं ( के बी स्टेट में रजिस्ट्रेशन हुआ है उसके अकॉर्डिंग जैसे राजस्थान का स्टेट कोड 08 है)
Second 10 digit – PAN card number of applicate
Third 1 digit – आपके PAN card से कितनी firm का GST रजिस्ट्रेशन हुआ है उनकी संख्या आती है – जैसे 1 FIRM करंट स्टेशन हुआ है तो 1
आता है और 2 फार्म का रजिस्ट्रेशन हुआ है तो 2 आता है
Fourth 1 digit – by default z होता है
Last one digit – कुछ भी हो सकता है
बढ़ाते हैं नेक्स्ट टॉपिक की तरफ
Types of GST rates (GST rates के प्रकार )
फिलहाल करंट में आज date 19 /11 /2019 तक 5 types की gst rates है जो किसी भी आइटम पर या किसी भी तरह की सर्विस पर लगती है जो इस प्रकार है
- GST@00% – वह आइटम या सर्विस होते हैं जिन पर कोई जीएसटी टैक्स नहीं लगता (खाद,बीज,मिल्क,एग्स)
- GST@05% -वह आइटम या सर्विस जिन पर 5% टैक्स लगता है जैसे (चीनी ,मसाले ,चाय )
- GST@12% -वह आइटम में सर्विस जिन पर 12% टैक्स लगता है जैसे (मोबाइल फोन ,कंप्यूटर)
- GST@18% -वह आइटम में सर्विस जिसमें 18% टैक्स लगता है जैसे (टेलीफोन और स्कूल बैग्स)
- GST@28% -वो आइटम में सर्विस जिस पर 28% टैक्स लगता है जैसे (ऐसी ,सीमेंट ,लग्जरी आइटम्स)
यहां पर मैं केवल कुछ आइटम्स का एग्जांपल दिया है लेकिन बहुत सारे प्रोडक्ट है जिन पर सरकार के कानून के अकॉर्डिंग दिए गए पांच टैक्स रेट में कोई भी टैक्स लगता है
हमें जानने की जरूरत नहीं है की किस आइटम पर कितना टैक्स लगता है क्योंकि जितना भी टैक्स लगता है वह बिल पर लिखा हुआ होता है दुनिया में बहुत सारे प्रोडक्ट हैं आपके किन-किन प्रोडक्ट की जीएसटी रेट्स जान पाओगे
How GST apply (GST कैसे लगता है)
जब भी कोई जीएसटी में रजिस्ट्रेशन फॉर्म कोई भी माल खरीदना है जो टैक्स बिल में लगकर आता है उसे इनपुट टैक्स कहते हैं यह टेक्स आइटम के अनुसार 0% 5% 12% 18% या फिर 28% कुछ भी हो सकता है जैसे कि मैंने बताया था कि अलग-अलग आइटम पर अलग-अलग टैक्स लगता है
परचेज भेजो टैक्स लगता है वह एक तरह से सरकार के पास डिपॉजिट होता है हम सरकार से यह टेक्स वापस नहीं ले सकते लेकिन कस्टमर से वापस टैक्स को ले सकते हैं
जैसे जब वापस उसे खरीदने गए माल को हम भेजते हैं तो जो टैक्स बिल में हमें लगाया उसे आउटपुट टैक्स कहते हैं और जो सेल्स में हमें लगाया है उसे हमारा वोट टैक्स वापस कर हो जाता है जो हमें परचेज करते वक्त सरकार को टैक्स पर किया था लेकिन प्रॉफिट का टैक्स का हिस्सा हमें सरकार को देना पड़ता है
Example
1 example देता हूं आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा
मान लीजिए हमें ₹100 का एक आइटम खरीदना है जिस पर पांच पर्सेंट टैक्स है यानी ₹5 तो टोटल बिल हमारा हो जाएगा ₹150 का और जो ₹5 हमारा tax लगा है उसे इनपुट टैक्स कहेंगे
अब सभी व्यापारी मुनाफा कमाने के लिए करते हैं तो जो आइटम हमारे ₹100 के खरीदा था उसे ₹110 में बेचेंगे और 110 में बेचेंगे तो 110 रुपीस पर 5% टैक्स रहेगा जो होता है 5.50 रुपीस जिसे बोलते हैं आउटपुट टैक्स
अब हमें उसे आइटम पर ₹5 टैक्स पहले ही दे कर जब हमने वह आइटम खरीदा लेकिन कस्टमर से हम 5.50 रुपीस तक टैक्स दिया यानी ₹10 प्रॉफिट का 50% ताकि 50 पेज इन पर सरकार का हक होता है और यह 50 पैसे हम सरकार को देने करने पड़ते हैं
तो इस तरह किसी भी आइटम पर जीएसटी टैक्स लगता है और इस तरह इनपुट और आउटपुट टैक्स की कैलकुलेशन होती है उम्मीद है आप लोगों को यह अच्छे से समझ में आया होगा बढ़ते हैं अगले विषय की तरफ
How GST apply in invoice – (GST को बिल में किस प्रकार लगाया जाता है)
जब भी हम कोई माल खरीदते हैं तो बिल में जीएसटी लगा के आता है और भेजते हैं तब जीएसटी लगाना पड़ता है जीएसटी को तो तरह से वसूला जाता है
- SGST(state tax) & CGST(Central tax) – जब भी कोई माल एक ही राज्य से खरीदा जाता है या एक ही राज्य में बेचा जाता है जैसे मैं राजस्थान का हूं और कोई आइटम मैंने राजस्थान के ही किसी शहर में खरीदा राजस्थान के ही किसी शहर में भेज दिया तो sgst and cgst लगता है वह भी टैक्स रेट का 50 – 50% for example एक फोन जो हजार रुपए का है जिसके टैक्स रेट 12% है उसे मैं राजस्थान के ही किसी शहर में भेज दिया तो इस प्रकार टैक्स डिवाइड होगा mobile value – 100 rs SGST 6% – 60RS CGST 6% – 60RS TOTAL=1120RS
- IGST (inter state tax)- जब या किसी दूसरे राज्य में भेजा जाता है जैसे मैं राजस्थान का हूं और कोई आइटम मैं पंजाब से खरीदा तो आईजीएसटी लगता है वह भी जितना टैक्स रेट है उसका हंड्रेड परसेंट for example एक मोबाइल जो हजार रुपए का है जिसकी टैक्स रेट 12% है उसे मैं राजस्थान में नहीं पंजाब के किसी कस्टमर को भेजा तो इस प्रकार टेस्ट डिवाइड होगा mobile value – 1000rs IGST 12% – 120RS TOTAL – 1120 RS
तो इस प्रकार अगर कोई भी माल खुद के ही राज्य में खरीदा या खुद के ही राज्य में बेच दिया तो सीएसटी प्लस सीएसटी लगेगा 50 – 50% और अगर किसी दूसरे राज्य से खरीदा और दूसरे ही राज्य में भेज दिया तो आईजीएसटी रहेगा 100% उम्मीद करता हूं आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा
बढ़ाते हैं अगले टॉपिक की तरफ
Types of GST registration – GST पंजीकरण के प्रकार
GST मैं firm को दो तरीके से रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है
- Composition firm
- Regular firm